Wednesday, 27 December 2017

उल्टी गंगा भाई बहन की चुदाई की ऑडियो सेक्स स्टोरी

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Tuesday, 26 December 2017

किरायेदार लड़कों से योनी और गुदा सम्भोग की हिंदी ऑडियो सम्भोग स्टोरी | Sa...

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Sunday, 17 December 2017

Increase Power in Body | Make Wife Happy | Health Education

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Friday, 15 December 2017

दीदी की मादक चाल देख गांड और चुत दोनों मारी



मैं समीर , दीदी स्नेहा और मम्मी मधु , तीन लोगों का परिवार है हमारा । स्नेहा की उम्र 24 वर्ष है , वो मुझसे तीन साल बड़ी है । एक सरकारी बैंक में कैशियर है । घर का खर्चा उसी की तनख्वाह से चलता है ।

पहले तो मैं भी आम लड़कों जैसा था | पर कुछ गलत लड़कों के संपर्क में आने से रास्ते से भटक गया । धीरे धीरे लड़कियों की तरफ मेरी रूचि बिलकुल ही खत्म हो गयी । उनकी तरफ देखने से मेरे शरीर में कोई हरकत नहीं होती थी , जैसी की अन्य लड़कों को होती है । मेरी दोस्ती सिर्फ सुन्दर लड़कों से थी । ये सब बातें मेरी मम्मी और दीदी को पता नहीं थी । लेकिन सच कभी न कभी सामने आ ही जाता है ।

एक दिन मम्मी बोली , " मैं कुछ दिन के लिए तुम्हारी मौसी के यहाँ जा रही हूँ । तुम दोनों भाई बहन ठीक से अपना ख्याल रखना और तू ज्यादा आवारागर्दी मत करना । घर के कामों में दीदी का हाथ बटाना , समझ गया ? "

मैंने कहा , " हाँ हाँ , आप चिंता मत करो , मैं सब समझ गया ।"

फिर उनको स्टेशन जाकर ट्रेन में बिठा आया ।
बाद में स्नेहा दीदी अपने बैंक चली गयी और मैं अपने कॉलेज चला गया ।

इंटरवल में एक साथी मिल गया । जब उसको पता चला आज घर पर कोई नहीं है तो उसने कहा चलो तुम्हारे घर चलते हैं । कॉलेज छोड़कर कुछ स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक्स वगैरह लेकर हम घर आ गये । हमारे पास मौज मस्ती के लिए 3 - 4 घंटे थे सो कोई फ़िक्र नहीं थी । दीदी शाम 6 बजे से पहले नहीं आती थी । हमने सोफे पर बैठकर कोल्ड ड्रिंक्स पी । फिर थोड़ी देर बाद मेरे कमरे में चले आये । कमरे में तेज वॉल्यूम में म्यूजिक चला दिया और फिर हम दोनों का बेड पर कार्यक्रम चालू हो गया । तभी किसी ने मेरे कमरे का दरवाज़ा खोला । मैंने चौककर सर उठा के देखा , आधा दरवाजा खोलकर स्नेहा दीदी आँखें फाड़े हमें देख रही थी , उसका मुंह खुला हुआ था । ऐसा लग रहा था जैसे उसने कोई भूत देख लिया हो ।

मेरे होश उड़ गये , दिमाग ने काम करना बंद कर दिया । जब हमारी नज़रें मिली तो उसने अविश्वास की दृष्टि से मुझे देखा और अपने खुले मुंह पर हाथ रख लिया । फिर तुरंत पलटकर चली गयी । तेज म्यूजिक की वजह से हमें पता ही नहीं चला वो कब घर आ गयी । अब मेरा राज खुल चुका था , मेरी फट के हाथ में आ गयी । फिर मैंने फटाफट कपड़े पहने और लात मारकर साथी को भगा दिया । इसी साले ने कहा था तेरे घर चलते हैं ।

अब उसको तो भगा दिया पर मैं स्नेहा दीदी का सामना कैसे करूँ ? वो मम्मी को भी बता देगी । बहुत देर तक बिस्तर पर लेटे लेटे सोचता रहा , क्या कहूंगा ? सोचा जाकर उसके पैर पकड़ने की एक्टिंग करूँगा । कुछ इमोशनल डायलाग मार दूंगा । आखिर भाई ठहरा , उसका दिल पिघल जायेगा । मम्मी को न बताने की रिक्वेस्ट करूँगा ।

फिर मैंने हिम्मत जुटायी और सोचा जो होना था वो तो हो चुका । आगे की फिर देखेंगे और चल पड़ा स्नेहा दीदी के कमरे की ओर । मैंने उनके दरवाज़े पर नॉक किया तो उन्होंने दरवाजा खोला । उनकी आँखों में आंसू थे वो शायद तब से अपने कमरे में रो रही थी । उन्होंने मुझे देखा और मुड़कर कमरे में अंदर चली गयी । मैं भी पीछे चला आया वो बेड पर सर झुकाकर बैठ गयी ।

मैं भी उसके सामने सर झुकाकर खड़ा हो गया । घबराहट में हाथ मलते मलते , बीच बीच में उसको देख लेता था । वो सर झुकाये रही कुछ नहीं बोली । शायद उसको बहुत तेज शॉक लगा था ।

फिर हिम्मत जुटाकर मैंने कहा , “ सॉरी दीदी ।“

उसने बिना सर उठाये पूछा , " कब से चल रहा हैं ये सब ।"

मैंने जवाब दिया , " तीन साल से ।"

वो चौंकी , " तीन साल से ? और यहाँ हमें कुछ खबर ही नहीं ।"

फिर पहली बार उन्होंने नज़रें उठायी और मेरी तरफ गुस्से से देखा । वो मुझे ऐसे देख रही थी जैसे मैंने उन्हें कोई बहुत बड़ा धोखा दे दिया हो और वो बहुत हर्ट फील कर रही हो ।

मैं चुपचाप नज़रें झुकाये , जैसे कोई बच्चा अपनी टीचर के सामने खड़ा होता है , वैसे ही उनके सामने खड़ा रहा ।
मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि स्नेहा दीदी को कैसे समझाऊँ ?

उन्होंने फिर से गुस्से से पूछा , " यह लड़का कौन था ? "

मैंने कहा , " मेरे कॉलेज का ही है ।"

उन्होंने फिर गुस्से से कहा , " यही सब काम करता था तू हमारी absence में ? "

मैंने कहा , " गलती हो गयी , आज पहली बार घर में लाया हूँ । "

फिर उसको भी कुछ समझ नहीं आया कि वो अब क्या बोले ? 5 मिनट तक सर झुकाये सोचती रही ।
फिर बोली, " अच्छा तू जा अब , मैं बाद में बात करुँगी ।"

मेरी जान छूटी , मैं फटाफट अपने कमरे में वापस आ गया । उनके कमरे में टेंशन से मेरा सर फट रहा था ।अपने कमरे में आकर कुछ सुकून मिला ।

फिर स्नेहा दीदी ने मुझसे बोलना कम कर दिया । खाना खिला देती थी , ज्यादा कुछ बात नहीं करती थी । अपनी सोच में डूबी रहती थी ।
फिर कुछ दिनों के बाद जब मम्मी वापस आयी तो स्नेहा दीदी ने उन्हें सब कुछ बता दिया ।

अब चौंकने की बारी मम्मी की थी । उन्होंने रो धो के घर सर पर उठा लिया । तेरे पापा नहीं है , कहाँ तो अपनी मम्मी और दीदी की मदद करेगा । ये सब गंदे काम करता है । हमें कितनी उम्मीद थी तुझसे ।और भी न जाने क्या क्या किट- पिट किट-पिट। थोड़ी देर में ही मेरे कान पक गये और मैं गुस्से से अपने कमरे में चला आया ।

फिर मम्मी ने मेरा पीछा ही नहीं छोड़ा , हर समय समझाती रहती थी । साधु बाबाओं के पास जाकर ताबीज भी बना लायी , मुझे जबरदस्ती पहना दिये । लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ , मुझे तीन साल से आदत पड़ चुकी थी । अब मेरा बदलना संभव नहीं था ।

एक दिन मैं अपने कमरे में कुछ मैगजीन्स ढूँढ रहा था पर मिल नहीं रही थी । स्नेहा दीदी ने मुझे सब उलटते पलटते देखा तो बोली , " क्या ढूँढ रहा है ? "

मैंने कहा, " कुछ फ़िल्मी मैगजीन्स थी , उन्हीं को ढूढ़ रहा हूँ । "

उन्होंने कहा , " फिल्मी मैगजीन्स का शौक़ कब से लग गया तुझे ? मैंने तो कभी तेरे पास फ़िल्मी मैगजीन्स नहीं देखी । "

मैंने कोई जवाब नहीं दिया ।

फिर वो बोली , " जो तू ढूँढ रहा है वो मेरे पास है ।"

अब चौंकने की बारी मेरी थी ।

" मैंने तेरे कमरे की तलाशी ली थी । उसमें मुझे 3 – 4 वो मैगजीन्स मिली जिन्हें तू पढ़ता है । लेकिन कान खोलकर सुन ले , आगे से तेरे कमरे में कुछ भी ऐसा मिला तो तुझे इस घर में घुसने नहीं दूंगी । "



मम्मी और दीदी में हमेशा ही कुछ न कुछ खिचड़ी पकती रहती थी और मेरे सामने आने पर वो दोनों चुप हो जाते थे । कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि स्नेहा दीदी का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया है । दीदी मेरे सामने ऐसा शो करती जैसे वो इस ट्रांसफर से खुश नहीं हैं । पर मैं जानता था कि उन्होंने जानबूझकर ये ट्रांसफर करवाया है ताकि मुझे मेरे दोस्तों की संगत से छुटकारा दिलाया जा सके ।

फिर कुछ दिनों बाद हम सब नए शहर में शिफ्ट हो गये । मेरा भी ग्रेजुएशन हो चुका था । कुछ समय बाद स्नेहा दीदी ने अपने बॉस की मदद से मेरी भी जॉब एक प्राइवेट बैंक में लगवा दी ।नयी जगह में आकर मम्मी को थोड़ा सुकून मिला था और स्नेहा दीदी भी थोड़ा हल्का महसूस कर रही थी ।

उन्हें लगा कि मैं जितना बिजी रहूँगा उतना ही उन चीज़ों से दूर रहूँगा और धीरे - धीरे मेरा लड़कियों की तरफ आकर्षण बढ़ेगा पर ऐसा न तो कुछ होना था न हुआ ।
मुझे यहाँ भी कुछ अपने जैसे मिल ही गये और फिर वही सिलसिला चल निकला ।

स्नेहा दीदी और मम्मी मुझ पर अब भी नज़र रखते थे । एक दिन दीदी ने मेरे मोबाइल पर किसी का मैसेज पढ़ लिया जिसमें अगले दिन मिलने का वादा था ।
फिर क्या था दीदी अगले दिन मेरे बैंक पहुँच गयी और मुझे वहां न पाकर भड़क गयी ।
शाम को जब मैं घर लौटा तो मम्मी और दीदी दोनों ने मुझे खूब खरी खोटी सुना दी ।

मुझे भी गुस्सा आ गया और मैं घर छोड़ कर निकल पड़ा । रात एक होटल में काटी और सुबह वंही से बैंक चला गया । स्नेहा दीदी ने रात भर मुझे कॉल किया पर मैंने एक भी कॉल रिसीव नहीं की । सुबह दीदी मेरे बैंक आयी और मुझे सॉरी बोलने लगी और शाम को घर वापस आने को कहा । मेरा गुस्सा खत्म हो गया , मैंने कहा आ जाऊंगा ।

शाम को जब घर पहुंचा तो स्नेहा दीदी मुझे छत पर ले गयी और समझाने लगी,
" देख कुछ समय बाद मैं शादी कर के चली जाऊँगी उसके बाद माँ का क्या होगा ? तू कुछ तो सोच ज़रा ?

मैंने कहा “ माँ की देखभाल के लिए मैं हूँ तो । "

दीदी बोली , " मैं जानती हूँ कि तू है । पर अगर तेरी शादी हो जायेगी तो तेरी बीवी , माँ का ज्यादा अच्छा ख्याल रखेगी । है कि नहीं ? "

मैंने कहा , " दीदी मेरी शादी कर के भी आपको क्या मिलेगा ?"

दीदी , " मतलब ? "

मैंने कहा , " ये कि मैं जब अपनी बीवी को खुश ही नहीं रख पाऊँगा तो शादी का क्या मतलब रह जायेगा …वो कुछ ही दिनों मैं मुझे छोड़ कर चली जायेगी । "

स्नेहा दीदी अब चुप हो गयी और सोच में पड़ गयी ।
फिर बोली , " देख मैंने एक डॉक्टर से बात की है । उसने बताया है कि क्योंकि तेरी ये प्रॉब्लम बचपन से नहीं है इसलिए तू अभी भी ठीक हो सकता है ।"

मैंने उनकी तरफ देखा और दुखी होकर कहा , " दीदी आप कितना भी जतन कर लो पर मुझे अब कोई नहीं सुधार सकता ।"

दीदी बोली , " ठीक है तू मुझे एक महीने का टाइम दे और प्रॉमिस कर कि इस एक महीने में तू अपने उन साथियों से नहीं मिलेगा और एक महीने तक मैं जैसे बोलूंगी वैसे ही करेगा । "

मैंने कहा “ दीदी एक महीने में कुछ नहीं होगा । आप बेकार में ही अपना टाइम waste कर रही हो । "

दीदी बोली , “ठीक है , अगर नहीं हुआ तो तू जैसे चाहे अपनी लाइफ जीना । मैं या मम्मी तुझे नहीं रोकेंगे । लेकिन मुझे ये आखिरी कोशिश करने दे। ”

मैंने उनकी आँखों में देखा और पूछा , “ पक्का ? "

दीदी बोली , " एकदम पक्का …पर एक महीना मेरी हर बात माननी पड़ेगी । प्रॉमिस कर ।"

मेरी तो बांछे खिल गयी । रोज़ रोज़ की टोका टोकी से मैं भी बहुत परेशान हो गया था । मैंने सोचा एक महीना काटना है, फिर वादे के अनुसार मुझे कोई न रोकेगा न टोकेगा ।

मैंने उनका हाथ पकड़ा और बोला , “ प्रॉमिस , एक महीना आपके नाम ।"
फिर हम छत से नीचे आ गये ।

अगले दिन जब मैं सो कर उठा तो मम्मी मामाजी के घर जाने को तैयार हो रही थी ।
बोली , कुछ दिनों के बाद आऊंगी।
बाद में हम दोनों भाई बहन तैयार होकर अपने अपने काम पर निकल पड़े । पर चलते चलते स्नेहा दीदी ने मुझे अपना प्रॉमिस याद दिलाया , आज से एक महीने तक घर से ऑफिस , और ऑफिस से घर । इधर उधर बिना उन्हें बताये कहीं नहीं जाना ।

मैंने सोचा , चलो देखते हैं एक महीने में ये क्या उखाड़ लेंगी ।
शाम को जब मैं घर वापस आया तो स्नेहा दीदी को देख कर हैरान रह गया ।
उन्होंने अपने बाल कटवा कर बॉय कट करवा लिए थे । बिलकुल एयरटेल 4G गर्ल की तरह ।
मैंने उनसे पूछा , " दीदी ये क्या किया आपने बाल क्यों कटवा लिए ? "

दीदी बोली , “ यहाँ का पानी मेरे बालों को सूट नहीं कर रहा है । बहुत बाल झड़ रहे थे इसलिए कटवा लिये । कैसा लगा मेरा नया लुक ?
मैंने जवाब दिया , " लुक तो अच्छा है पर आपको नहीं लगता कुछ ज़्यादा कटवा दिए आपने ? "

दीदी बोली , “छोड़ ना !! बालों का क्या है फिर बढ़ जायेंगे । तू ये बता मैं कैसी लग रही हूँ ? अच्छी लग रही हूँ कि नहीं ? "

मैंने बोला , " दीदी तुम बहुत सुन्दर दिख रही हो ।"

दीदी बोली , " ओके ! चल तू हाथ मुंह धोले , मैं तेरे लिये चाय लाती हूँ ।"

रात को दीदी मेरे कमरे में आयी और बोली , " आज से मैं तेरे कमरे में ही सोऊँगी । "

मैंने कहा , " पर क्यों ? "

दीदी बोली , " भूल गया , मैंने कहा था एक महीने तक जो मैं कहूँगी वही करना पड़ेगा ? "

मैंने हँसते हुए कहा , " ओके !! एक महीना आप जो मर्ज़ी आये वो करो । "

वो हंसी और बोली , " चल फिर थोड़ा खिसक जा ।"

मैंने थोड़ा खिसककर अपने बेड पर उन्हें जगह दी और लाइट ऑफ कर दी ।
दीदी ने अपना हाथ मेरे सीने पर रख लिया और काफी देर तक हम इधर उधर की बातें करते रहे फिर सो गये ।
अगले दिन जब मैं शाम को घर वापस आया तो देखा दीदी नीली जीन्स और सफ़ेद टॉप पहनकर कहीं जाने की तैयारी में हैं ।

मैंने कहा , " दीदी क्या बात है आज जीन्स टॉप ? "

दीदी हमेशा साड़ी या सलवार सूट ही पहनती थी । इसलिए उन्हें पहली बार जीन्स टॉप में देख कर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ ।

दीदी बोली , " हाँ समू , ये कुछ दिन पहले मैंने खरीदे थे पर कभी पहन नहीं पायी । क्यूंकि मम्मी को पसंद नहीं थे । पर अब मम्मी की absence में तो पहन ही सकती हूँ । "

मैं बोला , “ क्यों नहीं , ये मॉडर्न ड्रेस तो आप पर बहुत सूट कर रही है । "

दीदी खुश होते हुए बोली , " तू सच कह रहा है या मेरा मज़ाक उड़ा रहा है ? "

मैंने बोला , " तुम्हारी कसम दीदी एकदम सच ! तुम वाकई सुन्दर दिखती हो इस ड्रेस में ।”

दीदी कुछ सामान अपने पर्स में रखते हुए बोली , " चल अपना बैग रख और मेरे साथ ज़रा मार्केट चल , कुछ शॉपिंग करनी है । "

मैंने कहा , “ 2 मिनट दीदी , मैं ज़रा फ्रेश हो लूँ ।"

दीदी , " ठीक है जल्दी कर । "

फिर हम मार्केट गये । दीदी ने कुछ घर का सामान खरीदा और अपने लिये कुछ मॉडर्न ड्रेस
जीन्स , टॉप्स , शार्ट स्कर्ट्स , लॉन्ग स्कर्ट्स लिये । दीदी ने सारे ड्रेस मेरी पसंद से खरीदी ।
फिर हमने बाहर ही खाना खाया और घर आ गये ।

रात को दीदी सोने के लिये फिर मेरे कमरे में आयी । उन्होंने कॉटन का नाईट सूट पहना था ।
वो मेरे बगल में आकर लेट गयी और बोली , " समू , एक बात पूछूं ? "

मैंने कहा , “ पूछो दीदी । "

दीदी बोली , " सच सच बताना , क्या तेरी कभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही ? ”

मैंने कहा , " नहीं दीदी , कभी नहीं । "

दीदी बोली , " अच्छा ये बता तुझे आजतक कोई भी लड़की अच्छी नहीं लगी ? "

मुझे थोड़ी हंसी आयी और मैंने कहा , " नहीं दीदी , पहले तो सभी अच्छी लगती थीं पर अब नहीं लगती । "

दीदी बोली , “ तुझे लड़कों में क्या इतना अच्छा लगता है ? "

मैं थोड़ी देर चुप रहा । फिर बोला , " दीदी आप सो जाओ । मैं लाइट बंद कर देता हूँ । "

और मैंने उठ कर लाइट बंद कर दी ।

दीदी बोली , " तुझे नहीं बताना है तो मत बता । पर तूने प्रॉमिस किया था कि तू मेरी एक महीने तक हर बात मानेगा । "

मैंने दीदी के बगल में लेटते हुए कहा , " ओहो दीदी !! अब आपको क्या बताऊँ कि मुझे लड़कों में क्या अच्छा लगता है , मुझे नहीं पता । लेकिन जब भी मैं किसी सुन्दर लड़के को देखता हूँ तो ....। "

दीदी बोली , " तो क्या ? "

मैंने कहा , " तो मैं excited हो जाता हूँ और मेरा erect हो जाता है ।"

दीदी आश्चर्य से बोली , " रियली ? "
फिर थोड़ी देर बाद बोली , “ अच्छा एक बात बता । अगर कोई तुझे नीचे वहां टच करे तब भी क्या तेरा erection नहीं होता ? "

मैंने कहा , " वो तो इस पर depend करता है कि टच करने वाला कौन है ? लड़का है या लड़की । "

दीदी बोली , " ओके । "

फिर दीदी 2-3 मिनट तक कुछ नहीं बोली ।
फिर उन्होंने कहा , " पता नहीं मुझे ऐसा क्यों लगता है कि अगर ....। "

मैंने कहा , “ अगर क्या दीदी ? "

दीदी बोली , " अगर मैं तुझे वहां टच करूँ तो तेरा .....। "

मैं बोला , " क्या बेहूदी बात है ? आप भी ना ! कुछ भी बोल देती हो ।"

दीदी बोली , " अरे इसमें बेहूदगी की क्या बात है । मैं तो सिर्फ तुम्हारी मदद करने की कोशिश कर रही हूँ । "

मैंने कहा , " दीदी अब आप सो जाओ । बहुत रात हो गयी है ? "

दीदी बोली , " मुझे नहीं सोना , वैसे भी कल संडे है । "

मैंने कहा , " नहीं सोना है तो मत सो और जो करना है करो । ”

दीदी बोली , " सच ? "

मैंने कहा , " क्या सच ? "

दीदी बोली , " यही कि जो मैं चाहूं , करूँ ? ”

मैंने कहा , “ आपको जो करना है करो । गुड नाईट ! ”

दीदी बोली , " ठीक है फिर अपना पायजामा उतार , मुझे तेरा erect करना है । "

मैंने चौंकते हुए कहा , ” क्या ? पागल हो गयी हो ? आपको पता भी है क्या बोल रही हो ? "

दीदी बोली , " हाँ पता है मुझे । जब तक मुझे confrm नहीं हो जाता । मैं कैसे मान लूँ कि
तेरा erection सिर्फ लड़कों के लिये ही होता है ? "

मैंने झुंझलाते हुए कहा , " ओहो दीदी , प्लीज try to अंडरस्टैंड ।”

दीदी बोली , " तुमने प्रॉमिस किया था मेरी हर बात मानोगे ।"

मैंने कुछ जवाब नहीं दिया और ऐसे ही लेटा रहा ।

दीदी मेरे कान के पास अपना मुंह लायी और मादक आवाज़ में बोली , " एक बार मुझे try करने दे ना प्लीज । "

वो सोने देने वाली नहीं थी । इसलिये हारकर मुझे उनकी बात माननी पड़ी । मैंने कोई जवाब दिये बगैर अपना लोअर और अंडरवियर कमर से नीचे सरका दिया । दीदी ने लंड पर अपना हाथ रख दिया । लंड में कोई हरकत नहीं हुई । दीदी ने अपने हाथ से उसे सहलाना शुरू किया पर कोई रिस्पांस नहीं मिला । दीदी कभी लंड की चमड़ी को ऊपर करती , कभी उसकी मुठ मारती ,कभी मेरी गोलियों को सहलाती , पर लंड में कोई हरकत नहीं होती । करीब 10 मिनट तक ऐसे ही try करने के बाद दीदी ने मेरा लोअर ऊपर सरका दिया ।

उनकी इस नाकामयाबी से मुझे भी बहुत निराशा हुई और मैं उदास हो गया । दीदी मुझे दिलासा देने लगी और मुझे अपने सीने से लगा लिया और मैं ऐसे ही उनसे लिपट कर सो गया ।

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Sunday, 3 September 2017

Didi Ke Sath Lesbian Vala Khel



दोस्तो, मेरा नाम सविता है, मैं आज आपको मेरी सच्ची कहानी बताने जा रही हूँ.
मेरी हाईट 5’5″ है, मेरा साइज़ 34-30-34 का है जो कुदरत की देन है. मुझे अपनी इस बदन पर बहुत नाज़ है.

मेरी फॅमिली में पापा-मॉम, भैया-भाभी, दीदी और मैं हैं.

बात उन दिनों की है जबी भैया की शादी हो रही थी. घर पर अच्छा माहौल बना था. मैं और मेरी दीदी किरण जो पूरी मेरे जैसी है, हाईट, वेट साइज़ फ़ीगर सब सेम है, हम दोनों बहनें हैं इस वजह से मॉम डैड के एक जैसे जींस हमारे अंदर हैं इसलिए ऐसा हुआ है कि हम एक जैसी हैं.

शादी वाले दिन सुबह ज़ब सब तैयार हो रहे थे, मैं और मेरी दीदी भी तैयार होने बाथरूम गई.
दीदी अपना तौलिया भूल गई तो वो वापस लेने गई. इतने में मैंने अपना टीशर्ट और लोअर उतारा, मैं सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी.

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इतने में दीदी आ गई दरवाज़ा खोल कर…
मैंने कहा- दीदी, दरवाज़ा तो बंद कर दो. कोई मुझे ऐसे देख लेगा तो अच्छा नहीं लगेगा!

दीदी ने दरवाज़ा बंद कर दिया और मुझे घूरने लगी.
मैंने कहा- क्या हो गया दीदी? आप मुझे ऐसे क्यूँ देख रही हो?
दीदी मुस्कुराती हुई बोली- मैं अपनी सविता को देख रही हूँ जो पता नहीं कब जवान हो गई!
मैं मुस्कुरा दी.

दीदी बोली- तेरे दूध तो ब्रा के अंदर से ही मेरे दिल को लुभा रहे हैं, ज़रा दिखा तो?
मैं शर्मा गई क्योंकि मुझे अपनी चुची की तारीफ सुनना अच्छा लगता है.

दीदी ने अपना एक हाथ मेरी चुची पर रखा और ब्रा से बाहर निकाल दिया और अपना मुख मेरे निप्पल पर ले जा कर चाटने लगी.
मुझे कुछ अलग सा महसूस हुआ कि कुछ अच्छा हो रहा है. मैंने अपनी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा उतार का फेंक दी.

अब दीदी अपने दोनों हाथों से मेरे दूध मसल रही थी और अपने मुंह से चूम रही थी, मेरे दूध को पीने की कोशिश कर रही थी.
मैं उम्म्म्माआ आआआहह की आवाज़ निकाल रही थी.

मैं चाहती तो नहीं थी आवाज़ करना… पर हो रहा था… कैसा लग रहा था कि क्या बताऊँ?

दीदी ने मेरी पेंटी उतार दी और मेरी बुर में उंगली घुसा दी. मैं तड़प गई, मैंने दीदी को कहा- मत करो ना दीदी!
पर दीदी रुक नहीं रही थी. मेरे कमसिन बुर में उंगली ज़ोर ज़ोर से घुसा रही थी और चुची चूस कर मज़े ले रही थी.

मैं उम्म्ह… अहह… हय… याह… उउफ्फ़ कर रही थी… मुझे भी मज़ा आने लगा तो मैंने भी दीदी के कपड़े उतार दिए और पूरी नंगी कर दिया. मैं भी दीदी की चुची दबाने लगी और उनकी बुर में उंगली करने लगी.
फिर दीदी को पता नहीं क्या हुआ, वो मेरे होंठों को चूमने लगी.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

8-10 मिनट किस करने के बाद दीदी मेरी प्यासी गीली बुर को चाटने लगी, मैं उम्म्म्म आआहह दीदी… आहह और करो… आआअहह आहह उम्म्म्मममाआहह… करने लगी.
मैं इतने ज्यादा जोश में थी कि मैं जल्दी झड़ गई. मैंने अपना सारा पानी दीदी के मुंह में गिरा दिया.

दीदी ने कहा- अभी लेट हो रहे हैं, फिर मौका मिलेगा तो करेंगे!

और उसके बाद हम नहा धोकर तैयार होकर शादी में चले गये.

अब मैं और दीदी जबी भी मौक़ा मिलता है, नंगी होकर एक दूसरी की बुर में उंगली से, चाट कर, चुची मसल कर, चूस कर यानि हर तरह से लेस्बियन सेक्स का मजा करती हैं.
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Monday, 14 August 2017

भाई के सामने बहन की ग्रुप में चुदाई

मैं राज गर्ग एक बार फिर से हाज़िर हूँ नई कहानी लेकर जिसमें भाई ने बहन को चोदा!

दोस्तो, माफी चाहूँगा स्टोरी देर से लिखने के लिए… आपको तो पता है आजकल टाइम निकलना कितनी बड़ी बात है.
अभी मैं आपको अपनी एक नई स्टोरी के साथ!

जैसा कि आप सभी जानते हो कि मेरा वाइफ स्वैपिंग क्लब है जिसमें बहुत सारे कपल हैं जो वाइफ स्वैपिंग का मज़ा लेते हैं. आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
कुंवारी चूत चुदाई का आनन्दमयी खेल-1

दोस्तो, आपको याद होगा कि मैंने आपसे पिछली स्टोरी में आप लोगों से एक सलाह माँगी थी जिसके जवाब में मेरे पास बहुत सारी मेल आई, उन मेल में बहुत सारे सुझाव भी आए. आप सभी के सुझाव और आप आपके इस प्यार के लिए मैं आप सभी को दिल से धन्यवाद करता हूँ.


चलो दोस्तो, मैं आपका अधिक वक़्त ना खराब करते हुए सीधे कहानी पर आता हूँ!

जैसा आपने मेरी एक कहानी >> सगे भाई बहन ग्रुप सेक्स के खेल में

में पढ़ा कि अग्रवाल साहब अपनी बहन पूजा गोयल को क्लब में देखकर काफ़ी हैरान हुए थे. तो हम लोगों के सामने एक गंभीर समस्या आ गई थी कि कैसे पूजा और अग्रवाल भाई बहन होते हुए सेक्स कर सकते हैं तो जैसे ही आप लोगों के सुझाव को ध्यान रखते हुए मिस पूजा गोयल ने अपने भाई के सामने एक शर्त रखी- आप मेरे भाई हैं लेकिन मैं आपके साथ बेइंसाफी नहीं कर सकती हूँ कि आप मुझे ना छुएं! मैं घर पर आपकी बहन हूँ, लेकिन यहाँ आप चाहो तो मुझे आप अपनी वाइफ भी बना सकते हो! लेकिन घर पर मैं आपकी बहन ही रहूँगी.
अग्रवाल साहब हाँ बोले!

पड़ोस की लड़की की कुँवारी चूत ली 

सबने अपने अपने जाम उठाए और पूजा के नाम लगाए. पहला जाम लगते ही पूजा बोली- इस खेल की शुरुआत मैं करूँगी अपने भाई की वाइफ बन कर!
और पूजा जल्दी से अपने भाई का लंड अपने मुँह में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.
अग्रवाल साहब पूजा का सिर पकड़ कर अपने लंड पर दबाने लगे और बोले- ले चूस ले अपने भाई का लंड… उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकाल दे इसका सारा माल अपने मुँह में!

पूजा ने उनका लंड 8-10 मिनट तक चूसा और उनका पानी निकाल दिया, सारा माल खुद पी गई.
फिर पूजा ने अपने भाई को बोला- भाई जी, आओ अब तुम्हारी बारी है मेरी फाड़ने की… देखती हूँ कितना दम है मेरे भाई के लंड में!

कुछ देर मेहनत करके पूजा ने फिर से अपने भाई का लंड खडा किया और अग्रवाल ने अपना लंड अपनी बहन की फुद्दी में उतार दिया एक ही झटके में!
पूजा तो ऐसे उछली कि मानो जैसे लंड फुद्दी में नहीं गांड में डाल दिया हो! पूजा ने एकदम लंड को निकाल दिया अपनी फुद्दी से… बोली- भाई, आराम से डालो… आपकी बहन की नाजुक सी फुद्दी है, और मैं भाग थोड़े रही हूँ!
तो अग्रवाल मज़े लेते हुए बोला- पता चल गया कि तुम्हारे भाई के लंड में कितना दम है?
पूजा बोली- हाँ, पता चल गया! आराम से डालो और मारो मेरी फुद्दी!

गाण्ड मेरी पटाखा बहन बानू की (Gaand Meri Patakha Bahan Banu ki)

फिर से अग्रवाल साहब ने लंड अपनी बहन की चूत में डाला और दस मिनट तक लगातार बिना रुके बहन को चोदा और अपनी बहन पूजा को झड़वा दिया.
फिर अग्रवाल साहब ने बोला- मेरा भी होने वाला है पूजा, बोलो माल अंदर डालूं या मुँह में लोगी?
पूजा बोली- मुँह में लूँगी!
यह बोल कर उसने अपना मुख खोल दिया और अग्रवाल ने अपना लंड उसमें घुसा दिया. पूजा उनका सारा माल पी गई. आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मेरे बहन गुड्डी के चूत में डाला (Mere Behen Guddi Ke Chut mein dala)

फिर सबने बारी बारी पूजा की चूत की ठुकाई की, पूरी रात उसकी फुद्दी के मज़े लिए और सुबह सब अपने अपने घर निकल गये.
लेकिन जाते जाते पूजा ने अग्रवाल साहब का एक बार फिर लंड चूसा और माल पिया, बोली- मेरी शर्त याद रखना!
तो अग्रवाल साहब बोले- ठीक है!

दोस्तो, आपको मेरी स्टोरी कैसी लगी जिसमें एक भाई ने बहन को चोदा? मुझे मेल करके ज़रूर बतायें, मुझे आपके मेल्स का इंतज़ार रहेगा.
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सगे भाई बहन ग्रुप सेक्स के खेल में

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